भारतीय सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक थे मौलाना अबुल कलाम आजाद: दयानंद वत्स

अखिल भारतीय स्वतंत्र पत्रकार एवं लेखक संघ, नेशनल एजुकेशनल मीडिया नेटवर्क और प्रशिक्षित शिक्षक संघ के संयुक्त तत्वावधान में आज संघ के मुख्यालय बरवाला में संघ के राष्ट्रीय महासचिव दयानंद वत्स की अध्यक्षता में भारत के प्रथम शिक्षामंत्री स्वर्गीय मौलाना अबुल कलाम आजाद की 129वीं जयंती राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रुप में मनाई गई। श्री वत्स ने मौलाना अबुल कलाम आजाद के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए। इस अवसर पर अपने संबोधन में श्री दयानंद वत्स ने कहा कि मौलाना अबुल कलाम आजाद भारतीय सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक एक कवि, लेखक, पत्रकार और स्वतंत्रता सेनानी थे। उनका विराट व्यक्तित्व एवं प्रेरक कृतित्व आज की युवा पीढी के लिए प्रकाश पुंज के समान है।
श्री वत्स ने कहा कि आज की शिक्षा व्यवस्था में देश के करोडों छात्रों में महज परीक्षा पास करने का भारी दबाव है। इसी दबाव के चलते वे तनाव ग्रस्त रहते हैं और अवसाद का शिकार हो रहे हैं। परीक्षा परिणामों में बेहतरी लाने ओर अधिकाधिक अंक प्राप्ति की होड ने छात्रों की नैसर्गिक प्रतिभा को कुंठित कर दिया है। छात्रों पर घर में अभिभावकों और स्कूलों में शिक्षकों और शिक्षा विभाग की बढती अपेक्षाओं के बीच हमारे छात्र मानसिक रुप से दो पाटों के बीच में पिस रहे हैं। आज अगर मौलाना अबुल कलाम आजाद हमारे बीच होते तो शिक्षा प्रणाली में इतनी खामियां न होती।

Labels: , ,