राष्ट्रकवि मैथिली शरण गुप्त की 131वीं जयंती पर श्रद्धासुमन अर्पित, मानवतावादी सांस्कृतिक काव्यधारा के महत्वपूर्ण कवि थे मैथिली शरण गुप्तः दयानंद वत्स

अखिल भारतीय स्वतंत्र पत्रकार एवं लेखक संघ के तत्वावधान में आज संघ के उत्तर पश्चिम दिल्ली के ऱोहिणी सेक्टर-36 स्थित मुख्यालय बरवाला में संघ के राष्ट्रीय महासचिव दयानंद वत्स की अध्यक्षता में राष्ट्रकवि मैथिली शरण गुप्त की 131 वीं जयंती मानव संस्कृति दिवस के रुप में मनाई गई। श्री वत्स ने स्वर्गीय मैथिली शरण गुप्त के चित्र पर माल्यार्पण कर कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से उन्हें अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए। अपने संबोधन में श्री वत्स ने कहा कि गुप्त जी के काव्य में राष्ट्रीयता ओर गांधीवाद का अद्भुत समन्वय परिलक्षित होता है। उन्होनें अपनी कालजयी काव्यकृतियों पंचवटी, जयद्रथ वध, यशोधरा और साकेत के माध्यम से भारतीय संस्कृति के गौरवशाली अतीत के इतिहास का ओजस्वी वर्णन किया है। गुप्त जी मानवतावादी नैतिकता एवं सांस्कृतिक काव्यधारा के महत्वपूर्ण राष्ट्रकवि थे। अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी, आंचल में है दूध और आंखों में पानी यह पंक्तियां भारतीय नारी के प्रति उनकी दूरदर्शी सोच की परिचायक हैं। मातृभूमि के लिए चशका अनन्य प्रेम इन पंक्तियों में परिलक्षित होता है
हे मातृभूमि नीलांबर परिधान हरित तट पर सुंदर है,
सूर्य,चंद्र युग मुकुट मेखला रत्नाकर हैं,
नदियां प्रेम प्रवाह, फूल तारे मंडन हैं।

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