स्टार नहीं बड़े अभिनेता थे ओमपुरी

-प्रेमबाबू शर्मा

मशहूर अभिनेता ओम पुरी के निधन से बालीवुड में शोक की लहर दौड़ गई। साधारण शक्ल सूरत होते हुए भी अपने दमदार एक्टिंग की बदौलत ओम पुरी ने अभिनय जगत में अपनी खास पहचान बनाई थी।

वर्ष 1980 में रिलीज फिल्म ‘आक्रोश’ ओम पुरी के सिने करियर की पहली हिट फिल्म साबित हुई। ओम पुरी के हिस्से में कामयाब फिल्मों की लंबी श्रृंखला है। उन्होंने नायक, खलनायक , चरित्र अभिनेता और कॉमेडियन से लेकर सभी पात्रों को यादगार तरीके से निभाया।उन्हें उनकी एक्टिंग की बदौलत राष्ट्रीय फिल्म अवॉर्ड और पद्मश्री जैसे कई प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजा जा चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई राजनेताओं और अभिनेताओं ने ओम पुरी के निधन पर शोक जताया है।

‘आक्रोश’ ओम पुरी के सिने करियर की पहली हिट फिल्म साबित हुई। जब उनको एक लाइन के डॉयलॉग के लिए ओमपुरी को करनी पड़ी थी।साधारण से दिखने वाले वाले ओमपुरी ने अपने अभिनय के बल पर बॉलीवुड में जगह बनाई। उन्होंने ब्रिटिश और अमेरिकी सिनेमा में योगदान दिया था। 

ओम पुरी हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध अभिनेता हैं। इनका जन्म 18 अक्टूबर 1950 में अम्बाला नगर में हुआ। ओमपुरी पूरा नाम ओम राजेश पुरी है। वह पद्मश्री पुरस्कार विजेता भी हैं। शुरुआती शिक्षा उन्होंने पंजाब के पटियाला से ली थी। उन्होंने कॉलेज में एक कार्यक्रम के दौरान नाटक में हिस्सा लेने के चलते उनकी मुलाकात पंजाबी थियेटर से जुड़े हरपाल तिवाना से हुई और इसके बाद तो जैसे उन्हें उनकी मंजिल ही मिल गई।

ओम पुरी ने अपने फिल्मी सफर की शुरुआत मराठी नाटक पर आधारित फिल्म ‘घासीराम कोतवाल’ से की थी। ओमपुरी पूरा नाम ओम राजेश पुरी है। वह पद्मश्री पुरस्कार विजेता भी हैं। शुरुआती शिक्षा उन्होंने पंजाब के पटियाला से ली थी। उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा और 1976 में पुणे फिल्म संस्थान से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद ओमपुरी ने लगभग डेढ़ वर्ष तक एक स्टूडियो में अभिनय की शिक्षा दी। इसके बाद उन्होंने निजी थिएटर ग्रुप माजमा की स्थापना की थी। फिल्म ‘आक्रोश’ उनके लिए मील का पत्थर साबित हुई। कहा जाता है कि फिल्म की जब एक लाइन के डॉयलॉग के लिए ओमपुरी को करनी पड़ी थी कड़ी मेहनत ।

ओमपुरी चेहरे से बड़े रुखे लगते थे, लेकिन हंसोड़ किस्म के इंसान थे। फिल्म ‘मिस तनकपुर हाजिर हो’ की बुलंदशहर शुटिंग के दौरान सेट पर मिले थे। उन्हें देरी हो रही थी। उन्होंने फिल्म डायरेक्टर से कहा कि मैं तुम्हें डांटना चाहता हूं या जल्दी से मेरा शूट ले लो।

उनकी सबसे बड़ी खासियत यह थी कि उन्हें कॉमेडी करने के लिए जोकर बनने की जरूरत नहीं पड़ी जैसा कि अन्य अभिनेताओं को पड़ती है। वे अपनी भाव-भंगिमाओं से, अपनी आवाज से ही कॉमेडी कर लेते थे। जाने भी दो यारों,चुपके-चुपके, मालामाल विकली,चाची 420, आवारा पागल दीवाना, सिंग इज किंग,दुल्हन हम ले जाएंगे,बिल्लू चोर मचाए शोर और हेरा-फेरी, सरीखी में साफ देखा जा सकता है। ओमपुरी जल्द ही सलमान खान स्टारर ‘ट्यूबलाइट’ में भी नजर आने वाले थे।

ओमपुरी अपने आप में एक एक्टिग स्कूल थे,उन्होंने कई पीढ़ियों को सिखाया अभिनय,वहीं आक्रोश, माचिस, अर्धसत्य, आरोहण, मंडी, मिर्च-मसाला, और गांधी सरीखी फिल्मों ने उन्हें गंभीर अभिनेता के तौर पर पहचान दिलाई। कहना गलत न होगा कि वह एक स्टार नहीं, एक बड़े अभिनेता थे, जिन्होंने बॉलीवुड में कई पीढ़ियों को अभिनय करना सिखाया था।

ओमपुरी की चर्चित फिल्मों पर एक नजर
ओम पुरी ने अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यूं आता है (1980), आक्रोश (1980), गांधी (1982), विजेता (1982), आरोहण (1982), अर्धसत्य (1983), नासूर (1985), घायल (1990), नरसिम्हा (1991), सिटी ऑफ जॉय (1992), द घोस्ट एंड द डार्कनेस (1996), माचिस (1996), चाची 420 (1997), गुप्तरू द हिडन ट्रुथ (1997), मृत्युदंड (1997), प्यार तो होना ही था (1998), विनाशक दृ डिस्ट्रॉयर (1998), हे राम (2000), कुंवारा (2000), हेरा फेरी (2000), दुल्हन हम ले जाएंगे (2000), फर्ज (2001), गदररू एक प्रेम कथा (2001), आवारा पागल दीवाना (2002), चोर मचाये शोर (2002), मकबूल (2003), आनरू मेन एट वर्क (2004), लक्ष्य (2004), युवा (2004), देव (2004), दीवाने हुए पागल (2005), रंग दे बसंती (2006), मालामाल वीकली (2006), चुप चुप के (2006), डॉनरू द चेस बैगिन्स अगेन (2006), फूल एंड फाइनल (2007), मेरे बाप पहले आप (2008), किस्मत कनेक्शन (2008), सिंग इज किंग (2008), बिल्लू (2009), लंदन ड्रीम्स (2009), कुर्बान (2009), दिल्ली-6 (2009), दबंग (2010), डॉन 2रू द किंग इज बैक (2011), अग्निपथ (2012), ओएमजीरू ओह माय गॉड! (2012), कमाल धमाल मालामाल (2012), बजरंगी भाईजान (2015), मिस तनकपुर हाजिर हो (2015), घायल वन्स अगेन (2016), द जंगल बुक (2016) और एक्टर इन लॉ (2016)।

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