आर्थिक विकास के लिए अक्षय ऊर्जा की क्षमता के दोहन बेहद महत्वपूर्णः टेरी

-प्रेमबाबू शर्मा

भारत के स्थिर आर्थिक विकास के लिए ऊर्जा दक्षता बढ़ाने, बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने और ऊर्जा क्षेत्र का विकार्बनीकरण करना बेहद जरूरी है। यहाँ अक्षय ऊर्जा की एक महत्वपूर्ण भूमिका है और इसका ग्रिड से एकीकरण सुनिश्चित करना फोकस के मुख्यू बिंदु हैं। यह बात टेरी के महानिदेशक डॉ. अजय माथुर ने कही। वे आज भारत और जापान के बीच तकनीकी सहयोग बनाने के लिए आयोजित 7वें भारत-जापान एनर्जी फोरम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ‘वे विभिन्न क्षेत्र जिनमें भारत और जापान सहयोग कर सकते हैं, उसमें एलएनजी पर फोकस करने वाले भारत के परिवहन क्षेत्र में दिलचस्पीि हो सकती है।’

यह फोरम भारत के सतत विकास के लिए अनुसंधान करने वाले समर्पित शोध संस्थागन दि एनर्जी एंड रिसोर्स इंस्टी ट्यूट, इंडिया और ग्लोरबल साउथ की संयुक्तद मेजबानी में आयोजित किया गया। इसमें जापान के सबसे बड़े शोध एवं विकास प्रबंध संस्थामन न्यू, एनर्जी एंड डंडस्ट्रियल डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (नीडो) ने प्रमुख सहयोग दिया। ये दोनों संगठनों पिछले एक दशक से अधिक समय से साथ मिलकर काम कर रहे हैं और वर्तमान में पानीपत(हरियाणा) में एक पायलट परियोजना के तहत स्मार्ट ग्रिड प्रौद्योगिकियों की तैनाती पर काम कर रहे हैं। यह प्रोजेक्टर अपनी तरह को भारत का पहला प्रोजेक्टस है।

भारत सरकार के ऊर्जा, कोयला, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा एवं खनन के राज्यप मंत्री (स्व तंत्र प्रभार) माननीय श्री पीयूष गोयल ने अपने संबोधन में कहा कि “ ऊर्जा क्षेत्र में भारत दुनिया का संभवतरू सबसे बड़ा बाजार है और उम्मीुद है कि अधिक से अधिक लोगों को ग्रिड के साथ जुड़ने से अगले 15 वर्षों में हमारी बिजली खपत चार गुना बढ़ जाएगी। पिछले कुछ वर्षों में जापान के साथ हमारे संबंध मारुति-सुजुकी की साझेदारी से आगे बढ़कर लोक परिवहन के महत्व पूर्ण साधन बुलट ट्रेन के विकास तक पहुंच गया है। हमें उम्मीकद है कि फोरम में आज जो चर्चाएं हुई हैं उससे सरकार को ऊर्जा क्षेत्र को उसी स्तनर पर लेजाने में मदद मिलेगी, जहां कभी बीते दिनों में ट्रांसपोर्ट सेक्टमर था, इसमें स्थारई, सस्ता और गुणवत्तो पर विशेष रूप से फोकस होगा।

जापान सरकार में अर्थव्यवस्था, कारोबार और उद्योग मंत्री महामहिम श्री हिरोशिगे शेको भी उद्घाटन सत्र के दौरान उपस्थित थे। उन्होंने कहा, ‘जापानी तकनीक और पूंजी को भारत के उच्च् कौशल वाले मानव संसाधनों और ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को आपस में न सिर्फ परस्पोर लाभ के लिए बल्कि वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा, ऊर्जा की पहुंच और जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध कदम उठाने के लिए जोड़ा जा सकता है।

एनईडीओ के चेयरमैन श्री काजुओ फुरुकावा ने राष्ट्र की समृद्धि पर ऊर्जा सक्षमता के प्रभावों को समझाते हुए कहा, 2006 से ऊर्जा पर चल रही चर्चा से ऊर्जा सक्षमता के क्षेत्र में प्रगति हुई है और भारत में प्रत्यहक्ष निवेश में बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा, उन्हों्ने ऊर्जा की बढ़ती मांग को सुरक्षित और पर्यावरण अनुकूल तरीके से पूरा करने की महत्ता के बारे में भी जानकारी दी।

इस चर्चा में भाग लेने वाले गणमान्य लोगों में सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी के श्री पंकज बत्रा, एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड के श्री सौरभ कुमार, पीओएसओसीओ के श्री एसके सूनी, रेलवे बोर्ड के श्री ए.के. तिवारी, दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशंस लिमिटेड के श्री ए.के. गुप्ता, नवीन और अक्षय ऊर्जा मंत्रालय के डॉ पीसी मैथानी और स्टीलल मंत्रालय के श्री एसके भटनागर शामिल थे। इस चर्चा में जानी मानी जापानी कंपनियों जैसे
हिताची, मित्सु बिशी इलेक्ट्रिक, फ्यूजी इलेक्ट्रिक, टीईपीसीओ, नोमुरा आदि के वरिष्ठम प्रतिनिधि शामिल हुए।

टेरी के वरिष्ठ निदेशक श्री गिरीश सेठी ने सत्र की समाप्ति के दौरान दोनों देशों के सहयोगात्मक प्रयासों को बढ़ाने की जरूरत पर बल दिया। खास तौर से जापान के निजी क्षेत्र के साथ जिसने प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में
नई ऊंचाईयां छुई हैं और जो भारत की मदद कर सकती हैं क्यों कि भारत स्व्च्छम ऊर्जा समाधानों को त्व रित गति से अपनाने की राह पर चल पड़ा है।

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