हर फिल्मकार की अपनी अलग सोच रहती है - पंकज पुरोहित


-प्रेमबाबू शर्मा

अघोरियों के जीवन पर आधारित बहुचर्चित डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘बेली ऑफ द तंत्र’ का निर्माण करने वाले फिल्मकार पंकज पुरोहित का कहना है कि ‘सिनेमा सिर्फ एंटरटेनमेंट का माध्यम के अलावा समाज सच्चाई में फैली कुरूतियां दिखाने का भी माध्यम है।’

पंकज पुरोहित ने बताया कि ‘फिल्म ‘बेली ऑफ द तंत्र’ भारत के तंत्र विद्या और अघोरियों के जीवन से पर आधारित थी। जिसमें उनके जीवन से जुडे़ अनछुए पहलुओं और उनकी दिनचर्या के रहस्य को कैमरे में कैद किया है।’ फिल्म की लोकेशन अघोरी,बाहुल्य क्षेत्र बनारस, काठमांडू, कामख्या आसाम, महेश्वर, तारापीठ कोलकाता थी। उन्होंने अपने दोस्तों के साथ अघोरियों के साथ रात गुजारी और उनके रहन सहन खान पान व साधना को डॉक्यूमेंट्री फिल्म में दिखाया हैं।

पंकज पुरोहित ने अपने एक मित्र जेरमी वीवर के साथ फिल्म प्रोडक्शन कंपनी ऑनवर्ड एंटरटेनमेंट की स्थापना कर ‘ट्वाईलाईट ग्रेस’ और ‘न्यू मियॉक’ नामक फिल्मों का भी निर्माण किया। पंकज ने 2008 में मुम्बई लौटने के बाद में कुछ साल बॉलीवुड लाइफ को जीते हुए उनकी इच्छा दुनिया की सच्चाई को दुनियावालों से अवगत कराने की थी और उनका सपना पूरा भी हुआ फिल्म ‘बेली ऑफ द तंत्र’ के माध्यम से।

पंकज के पिता श्री एस. व्ही. पुरोहित बिलासपुर ( छत्तीसगढ़ ) हाई कोर्ट में सीनियर एडवोकेट हैं। उनकी इच्छा थी वह भी पिता के काम को आगे बढाये,लेकिन पंकज की उडान के आगे उनके पिता ने उनका हौंसला बुलंद करते हुए आर्शीवाद दिया। छत्तीसगढ़ राज्य के ऊर्जानगरी कोरबा शहर से मायानगरी मुम्बई फिर अमेरिका और अब दोबारा मुम्बई में अपना वजूद तलाशते पंकज ने सिनेमा की कल्पनामयी संसार में संघर्ष की लंबी पारी खेली है।ं जिसमे उनके करीबी मित्रों का भरपूर प्यार शामिल है।

बातचीत के दौरान पंकज ने बताया कि ‘ फिल्म ‘राम तेरी गंगा मैली’ से प्रभावित हुआ और अभिनेता शाहरुख खान के रोमांटिक अंदाज का ऐसा हुआ दीवाना हुआ कि मुझे भी बॉलीवुड में शौहरत कमाने की प्रबल इच्छा होने लगी।’ लेकिन पंकज का जल्द अहसास हो गया कि एक अभिनेता के मुकाबले एक सिंगर के रूप में लोगों के दिल में आसानी से पहचान मिल सकती हैं। फिर पंकज खैरागढ़ और बनारस में शास्त्रीय संगीत की तालीम लेकर 2001 में मुम्बई आये। यहाँ महेश भट्ट और तनूजा चंद्रा से मिले और उनकी अगली फिल्म में सहायक जुड़ने का ऑफर मिला लेकिन तनूजा की वह फिल्म शुरू ना हो सकी और फिर पंकज ने अपना ध्यान रंगमंच की तरफ मोड़ा कुछ प्ले किये लेकिन निचली स्तर का संघर्ष और समझौता उनकी फितरत में नहीं था। 2003 में पंकज ने अमेरिका के लिए ऊँची उड़ान भरी । अमेरिका में सात वर्ष के दौरान फिल्म मेकिंग के कई विधाओं में पारंगत हुए।

लॉस एंजेलिस में यु सी एल ए फिल्म एकेडमी में डायरेक्शन सीखे और फिल्म मेकर ग्रेट हॉवर्ड के साथ स्क्रिप्ट राइटिंग किये जिन्होने विल स्मिथ को लेकर अली बनाये थे। उसके बाद आन्या लिपि की प्ले विवेकानंद में जुड़े। कुछ हॉलीवुड फिल्मों में प्रोडक्शन असिस्टेंट के रूप में काम करते करते फिल्म निर्माण क्षेत्र की गतिविधियों पर नजर रखते हुए ढेरों अनुभव प्राप्त किये।

‘बेली ऑफ द तंत्र’ फिल्म ने इंटरनेशनल मार्केट में भारतीय निर्माता निर्देशक के रूप में पंकज पुरोहित को बहुत प्रसिद्धि दिलायी है और कोलंबिया यूनिवर्सिटी से गेस्ट लेक्चलर से उन्हें बुलावा आया जहाँ उनका पढ़ाई का सपना था उसे पंकज अपने फिल्म कैरियर का बड़ा सम्मान मानते हैं ।

इन दिनों पंकज अपनी दूसरी फुल लेंग्थ डॉक्यूमेंट्री ‘सडन क्राय’ को फिल्म फेस्टिवल में भेजने का प्लान कर रहे हैं, जिसका निर्देशन बबिता मोडगिल ने किया है । इसमें बाल वेश्यावृत्ति से जुड़ी भारतीय अपराध दिखाया गया है। इसके अलावा पंकज बड़े एक्टर को लेकर होमोसेक्सुअल सब्जेक्ट पर कमर्शियल फिल्म की तैयारी भी कर रहे हैं।

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