रणदीप-काजल लेकर आए ‘दो लफ्जों की कहानी’

प्रेमबाबू शर्मा

कोरियाई फिल्म ‘आॅलवेज’ का हिंदी रीमेक है फिल्म ‘दो लफ्जों की कहानी’ में रणदीप हुड्डा ,काजल अग्रवाल के साथ मार्शल आट्र्स की कला से लोगों को परिचय करा रहे हैं। फिल्म कि कहानी एक ऐसे मार्शल आर्ट फाइटर की है, जो एक अंधी लड़की के प्यार में पड़ने के बाद इस कला से मुंह फेर लेता है। खास बात यह है कि ‘दो लफ्जों की कहानी’ अपने भावपूर्ण गीत-संगीत की वजह से पहले ही खासी चर्चा में है। यह फिल्म भी सेंसर बोर्ड की कैंची की वजह से सुर्खियों में रही है।

फिल्म में रणदीप और काजल के 18 मिनट लंबे किस सीन को सेंसर बोर्ड के आदेश पर काटकर मात्र 9 मिनट का कर दिया गया। इसके साथ ही फिल्म से कुछ खास शब्द भी हटवाए गए।

एक्टर रणदीप हुड्डा 10 जून को रिलीज अपनी इस फिल्म को मिल रही बेहतरीन प्रतिक्रियाओं से काफी एक्घ्साइटेड हैं। इस फिल्म के प्रमोशन के सिलसिले में दिल्ली आए रणदीप ने कहा कि ‘दो लफ्जों की कहानी’ उनकी पहली बेहतरीन लव स्घ्टोरी फिल्म है। चूंकि, ‘दो लफ्जों की कहानी’ एक अनोखी, लेकिन सच्घ्ची प्रेम कहानी के रूप में दर्शकों के बीच आई है, इसलिए यह उनके दिलों को छू रही है। उन्होंने बताया कि इस फिल्म की शूटिंग के दौरान मैंने खुद को काफी प्रताड़ित भी किया, मेरे पांव के अंगूठे भी चोटिल हो गए थे, लेकिन मुझे पता है कि कुछ पाने के लिए कुछ खोना भी पड़ता है। मुझे खुशी है कि लव, इमोशन, रोमांस और एक्शन से भरे इस फिल्घ्म में काम करने का मौका मिला।

फिल्म में काजल अग्रवाल ने जैनी नामक अंधी लड़की का किरदार निभाया है। जैनी जब सूरज से पहली बार मिलती है, तो सूरज को उससे प्यार हो जाता है। अंधी लड़की का किरदार निभाने के लिए क्या खास किया? पूछने पर काजल ने कहा कि इस किरदार को जीवंत बनाने के लिए मैंने काफी किताबें पढ़ीं और कई वीडियोज देखे। यहां तक कि मैंने नेत्रहीन लोगों के साथ वक्त बिताकर उनके हाव-भाव को नजदीक से देखा और उसे अपने किरदार में आत्मसात किया। काजल ने बताया कि नेत्रहीन लड़की का किरदार निभाने के दौरान मुझे अहसास हुआ कि उनके लिए जिंदगी कितनी मुश्किल होगी, जिन्हें हर वक्त बस अंधेरा ही अंधेरा दिखता हो। मुझे अहसास हुआ कि अगर मैं अपनी आंखें दान कर दूं, तो ऐसे लोगों की जिंदगी में उजाला आ सकता है। इसलिए मैंने अपनी आंखें दान करने का फैसला किया है। मुझे खुशी है कि मेरे इस अहसास के बाद रणदीप भी अपनी आंखें दान करने के लिए तैयार हो गए हैं। रणदीप और मैं आंखें दान करने के मुद्दे को लेकर काफी सीरियस हैं। मानव शरीर में आंखें सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक हैं। आंखें के बिना जिंदगी सिर्फ अंधकार है। ऐसे में अंधकार से जूझ रहे इंसान के लिए आंखें जिंदगी का सबसे बड़ा गिफ्ट साबित होंगी।

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