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श्री राजकुमार जैन |
स्वतंत्रता का मंगल पर्व इस बात का साक्षी है कि स्वतंत्रता एक अमूल्य वस्तु है। सदियों की पराधीनता के पश्चात देश के हजारों-लाखों अमर वीर सपूतों के बलिदान के फलस्वरूप हमें आजादी मिली। आज हम अंग्रेजों की गुलामी से तो आजाद हो चुके हैं, लेकिन हमें निश्चिंत होकर बैठ नहीं जाना चाहिए। शहीदों से प्रेरणा लेकर देश एवं मानवता के लिए अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है। ऐसा कहना है प्रबुद्ध शिक्षाविद एवं प्रखर राष्ट्रवादी श्री राजकुमार जैन का। वे अपार इंडिया कालेज में स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में अयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
श्री जैन ने कहा कि खेद की बात है कि स्वराज्य के जिस सुहावने सपने को संजोए हजारों-लाखों नौजवानों ने आजादी की बलिवेदी पर अपने प्राण न्योछावर कर दिया उसे अभी तक पूर्णतया साकार नहीं किया जा सका है। स्वाधीनता प्राप्ति के 66 वर्षों के बाद भी सामाजिक परिस्थितियों में कोई खास अंतर नहीं आया। आज भी देश के सामने गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा, असमानता एवं वर्गवाद जैसी समस्याएं मुंह बाये खड़ी हैं। इसका कारण वैयक्तिक स्वार्थों की प्रबलता है।
श्री राजकुमार जैन ने कहा कि अब हमपर निर्भर करता है कि हम शहीदों के सपनों का भारत बनाना चाहते हैं या अहसानफरामोशी का सबूत बनना चाहते हैं। हमारा कर्तव्य है कि देश के उत्थान के लिए ईमानदारी का परिचय दें। प्रत्येक नागरिक कर्मठता का पाठ सीखे और अपने चरित्र बल को ऊंचा बनाए। युवक देश की रीढ़ की हड्डी के समान है। उन्हें देश का गौरव बनाए रखने के लिए तथा इसे संपन्न एवं शक्तिशाली बनाने में अपना योगदान देना चाहिए। अंत में श्री जैन ने इन पंक्तियों के माध्यम से अपनी वाणी को विराम दिया-
धरती हरी-भरी हो आकाश मुस्कुराए,
कुछ कर दिखाओ ऐसा इतिहास जगमगाए।