कोई कुछ भी बोले मुझे फर्क नहीं पडताः नेहा


प्रेमबाबू शर्मा

क्रूक और क्या सुपर कूल हैं हम जैसी सलीके की फिल्में कर चुकी नेहा शर्मा ने अपने करियर की शुरूआत तेलुगू फिल्मों से की और अब दुर्गेश सिंह एकता कपूर की फिल्म क्या सुपर कूल हैं में नजर आयेगी। फिल्म इसी सप्ताह रीलिज हो जा रही है अपनी फिल्म के बारे में उनका क्या कहना है जानते है उनकी ही जुबानीः

क्या सुपर फूल हैं हम में आपका किरदार क्या है? निजी जीवन में आप खुद को इस किरदार के कितना करीब पाती हैं?
मैं सिमरन नाम की एक शहरी लडकी के किरदार में हूँ जो अपनी खुशियों को पाने में यकीन रखती हैं। उसको किसी के जीवन में अडंगा डालने का कोई भी शौक नहीं है और न ही वह अपने ऊपर किसी तरह का बंधन चाहती है। सिमरन का किरदार वास्तविक जीवन में भी मेरी उम्र का ही है तो इसे निभाने में मुझे कोई दिक्कत नहीं हुई। मुंबई आने के बाद मैं कुछ इसी तरह का इंडिपेंडेंट जीवन जी रही हूँ, लेकिन मैं अपनी पसर्नल लाइफ में बिलकुल ऐसी नहीं हूँ।

आप एक न्यूकमर हैं जबकि तुषार और रितेश मँझे हुए कॉमेडी अभिनेता हैं? मुश्किल हुई ट्यूनिंग में?
रितेश देशमुख का होमवर्क देखकर मैं दंग हूँ। वो सेट पर काफी मजाकिया हैं। वे सीन को पढने के साथ ही इम्प्रोवाइज करते रहते हैं। कई बार तो जब सचिन सेट पर उनको संवाद पढकर सुनाते थे तो पसंद न आने पर वे खुद सचिन को बताते थे कि यहाँ ऐसा होना चाहिए। मैंने रितेश देशमुख से किरदार का ऑब्जर्वेशन सीखा है। वहीं तुषार को देखकर लगता ही नहीं कि इतने बडे घराने से ताल्लुक रखते हैं। वे बेहद विनम्र स्वभाव के हैं।

आपकी पहली फिल्म क्रूक से क्या सुपर कूल हैं हम तक इंडस्ट्री का रवैया कितना बदला है आपके प्रति?
यह तो आप लोग ही बताते हैं कि कौन-सा अभिनेता डिमांड में है और कौन-सा नहीं। मुझे तो कोई बदलाव नहीं दिखा। मैंने अपने स्वभाव के बारे में पहले भी आपको बताया कि मुझे बहुत फर्क नहीं पडता कौन मेरे बारे में क्या बोल रहा है? यहाँ आपको दो फिल्म करने के बाद ही सेलिब्रिटी करार कर दिया जाता है जबकि हम भी इंसान ही होते हैं। मैं अपने काम में फोकस करने में सफल रही हूँ। इस जमाने में आपका काम ही आपको मजबूत और कॉन्फिडेंट बनाता है, बाकी सब अफवाहें हैं।

निर्देशक सचिन यार्डी के साथ सेट पर आपका अनुभव कैसा रहा?सचिन के साथ यह मेरी पहली फिल्म है। उनको मैंने पूरी शूटिंग के दौरान कभी भी सेट पर हाइपर होते नहीं देखा। उनको किसी अभिनेता से जो चाहिए वो खुद आकर अभिनेता को समझाते हैं। कॉमेडी का मेरा यह पहला अनुभव है तो उन्होंने स्क्रिप्ट और शूटिंग की सारी पेंचीदगी खुद समझाई। इस फिल्म में मैं पूरी तरह निर्देशक की एक्टर हूँ। सारा जेन डियाज के साथ मेरे जो साझे सीन थे उसमें भी उन्होंने बहुत धैर्य रखते हुए हमें सारी बातें बताई। अक्सर ऐसा होता है कि नए लोगों को सेट पर असिस्टेंट डायरेक्टर ही समझाते हैं लेकिन इस फिल्म में ऐसा नहीं हुआ।

किस तरह के किरदार आपके दिल के करीब हैं?
मैं हर तरह के किरदार करना चाहती हूँ। एक अच्छी स्क्रिप्ट और मिले तो मैं सशक्त महिला का किरदार भी निभा सकती हूँ और कॉलेज गर्ल का भी। लेकिन मेरी कुछ सीमाएँ हैं जो मुझे मेरी फैमिली बैकग्राउंड की वजह से विरासत में मिली हैं। मैं बिहार के एक परंपरागत परिवार से हूँ। माँ-पापा के अलावा मेरी दो बहनें और एक भाई भी है तो मुझे अपना काम करते हुए यह ख्याल भी रखना है कि उन्हें मेरी वजह से कहीं शर्मिंदा न होने पडे। मेरे परिवार ने यहाँ तक पहुँचने में मेरा सपोर्ट किया तो मेरी जिम्मेदारी बनती है कि सफल होने के बाद भी मैं उनकी उतनी ही इज्जत करूँ जितनी अभी करती हूँ। इंडस्ट्री में अभिनेत्रियों का करियर स्पैन बहुत कम होता है, ऐसे में आपका परिवार ही आपके सपोर्ट सिस्टम होता है।

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