एलबम सोचते सोचते से आशाए है : जेनीवा

प्रेमबाबू शर्मा 

‘अर्श और एहसास प्यार का’ गज़ल एलबमों के बाद इन दिनों गायिका जेनीवा रॉय एक फिर से सुर्खियों में है अपनी नई एलबम ‘सोचते सोचते ’ को लेकर। और हो भी क्यों ना क्योंकि उनकी अलबम कें गीत लिखे है सुप्रसिद्व गीतकार नक्श लायलपुरी ने। 

जेनीवा रॉय
बतचीत के दौरान गायिका जेनीवा रॉय अपने नए म्युजिक एलबम ‘सोचते-सोचते’ के बारे में बताया कि यह एलबम मेरे लिए ‘री बर्थ’ जैसा है । ‘हिना’, चेतना, दर्द, दिल की राहें, आहिस्ता-आहिस्ता, कागज़् की नाव, मिलाप, कॉल गर्ल, प्रभाव, नूरी और घरौंदा जैसी कामयाब फिल्मों में यादगार गीत लिखने वाले लीजैंण्ड गीतकार नक्श साहब ने सोचते-सोचते के रूप में मुझे जीवनभर सहेज कर रखनेवाली अनमोल भावनात्मक सौगात दी है । उनके लंबे चौड़े अनुभवों में पगी एक-एक गजल दिल पर अमिट छाप छोड़ती है।

8 साल की उम्र से गायन के क्षेत्र में उतरी जेनीवा रॉय गज़ल गायिकी की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाना चाहती है ‘अर्श और एहसास प्यार का’ गज़ल एलबमों के जरिए उन्होंने भावुक और दर्दीली गजल गायिका के रूप में खासी दस्तक भी दी है । मगर जेनीवा रॉय का तो मक़सद अपने रोल मॉडल जगजीत सिंह की तरह फीमेल जगजीत सिंह बनना है ..... । इसीलिए उन्होंने इस बार मदन मोहन और खय्याम नामचीन संगीतकारों के लिए यादगार गीत लिखने वाले गीतकार नक्श लायलपुरी और पंकज उधास, रिचा शर्मा, रूप कुमार राठौड, आशा भोसले और कविता सेठ जैसे गायकों के लिए नायाब म्युजिक एलबम्स का संगीत संजोनेवाले संगीतकार अली-गनी की जुगलबंदी कर ‘सोचते-सोचते’ रूप में अपना अगला कदम रखा है । ‘सोचते-सोचते’ एलबम की शुरूआत करने में युवा गजल  गायिका जेनीवा रॉय को कई इम्तिहानों से गुजरना  पड़ा । आवाज, पीच, कोड़ गजलों के मूड़ के मुताबिक भावात्मक अदायगी......सभी वर्गों के संगीत प्रेमियों के हिसाब से गजलों का चयन, फिर उन्हें मीठी मर्मस्पर्शी धुनों में पिरोए जाना आसान नहीं था । एक-एक गजल  फायनल करने में नक्श लायलपुरी, क्रिएटिव हेड के. सतीश, संगीतकार अली-गनी और निर्देशक राजन लायलपुरी के बीच एक अर्से तक बहस मुबाहसे चले....... धुनों और म्युजिक अरेंजमेंट को लेकर छोटी-छोटी बातों का भी बड़ी गंभीरता से ध्यान रखा गया ......। 5 महीनों की अथक मेहनत का परिणाम निकल कर आया म्युजिक एलबम - ‘सोचते - सोचते’ ।

जेनीवा रॉय - नक्श लायलपुरी
‘सोचते-सोचते’ म्युजिक एलबम के बारे में गीतकार नक्श लायलपुरी ने बताया कि ‘सोचते-सोचते’ मेरा पसंदीदा एलबम है । जिसमें 8 अलग अलग मूड के गजलों का संग्रह है जिसमें खुशनुमा गुलदस्ते में मैंने जिंदगी के उन लम्हों, प्रसंगो और विधाओं से मुत्तालिक फूल सजाने की कोशिश की है । इस अलबम में गजलों  के मूड के मुताबिक न केवल उम्दा धुनें, म्युजिक तैयार हुआ है बल्कि जेनीवा रॉय ने अपनी गायिकी से बढ़िया अंजाम भी दिया है ।

गजलें कंपोज करने में महारथ हासिल करने वाले संगीतकार अली-गनी तो अपनी नई एलबम-‘सोचते-सोचते’ को लेकर बहुत थ्रिल है । उनका कहना है - हमनें कई एलबम किए हैं । हंसराज हंस - ‘झांझरिया’, साधना सरगम और पंकज उधास -‘कभी आंसू कभी खुशबू कभी नगमा’, हमनशी, महक, रूप कुमार राठौड - ‘मितवा’ रिचा शर्मा - ‘विम्डस ऑफ राजस्थान’ आदि एलबमों को बहुत सफलता भी मिली है । मगर हाल ही में नक्श लायलपुरी साहब के साथ तेजी से उभरती हुई गजल गायिका जेनीवा रॉय के साथ एलबम का करना हमारे लिए अनूका और शानदार अनुभव रहा । हमें उम्मीद है कि जेनीवा रॉय ‘सोचते -सोचते’ एलबम के जरिए एक नया मुकाम बनाएगी ।

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