“ भूमंडलीकरण के परिप्रेक्ष्य में हिंदी भाषा और साहित्य: प्रभाव संभावना और चुनौतियां ” -एक दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी


शेषाद्रिपुरम महाविद्यालय में 15 सितंबर 2016 को ‘“ भूमंडलीकरण के परिप्रेक्ष्य में हिंदी भाषा और साहित्य: प्रभाव संभावना और चुनौतियां ” विषय पर एक दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ माँ सरस्वती की प्रतिमा के सामने दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया। इसके बाद संस्थान के विद्यार्थीयो ने गणेश एवं माँ सरस्वती की वन्दना के साथ भाषा गीत प्रस्तुत किया। विशिष्ट अतिथि के रुप में पटना निवासी प्रसिद्ध रंग आलोचक और साहित्यकार ह्रषीकेश सुलभ मुख्य अतिथि के रुप में कनाडा निवासी प्रोफेसर सरन घई गौरव अतिथि के रुप में बेंगलुरू निवासी प्रोफेसर ललितांबा प्रो लता चौहान डॉ विनय कुमार यादव जी उपस्थित थे उद्घाटन सत्र में उद्घाटन भाषण शुभकामना संदेश के पश्चात महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ अनुराधा रॉय द्वारा आभार प्रदर्शन किया गया इस अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्रतिष्ठित साहित्यकारों, विचारकों, प्रवक्ताओ एवं रचनाकारों द्वारा सहभागिता की गयी।

इस संगोष्ठी की आधार भूमिका हिन्दी विभाग की अध्यक्षा प्रो. उर्मिला पोरवाल (सेठिया) के द्वारा तैयार की गयी। साथ ही संगोष्ठी में दिल्ली से प्रकाशित (मुख्य अतिथि प्रो. सरन घईजी पर आधारित विशेषांक) मासिक राष्ट्रीय पत्रिका ट्रू मीडिया के सितंबर अंक का विमोचन किया गया।  महाविद्यालयीन प्रांगण में कानपुर से पधारे विनय प्रकाशन द्वारा पुस्तक सूची प्रदर्शनी का आयोजन किया गया।

सर्वप्रथम अपने बीज वक्तव्य में विशिष्ट अतिथि सुप्रसिद्ध समीक्षक एवं साहित्यकार ह्रषीकेश सुलभजी ने इस विषय पर गंभीर विचार-विमर्श करने एवं अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित करने के लिए शेषाद्रि पुरम महाविद्यालय के प्रयास की सराहना की और कहा कि हिंदी को दक्षिण भारत में स्तरीय बनाने के लिए हमें बहुआयामी प्रयास करने होंगे। 

इस संगोष्ठी के मुख्य अतिथि प्रो. सरन घईजी ने विदेशों में हिंदी के प्रचार-प्रसार की चुनौतिया व संभावनाएँ विषय पर अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया और हिंदी विभाग को इस विषय पर संगोष्ठी आयोजित करने के लिए बधाई दी और कहा कि यह विषय बहुत ही प्रासंगिक एवं महत्वपूर्ण है। प्रो. घई ने हिन्दी के स्तरीकरण के लिए सुझाव भी दिये ।

संगोष्ठी में गौरव अतिथि बैंगलोर से डॉ. बी.वै. ललिताम्बा ने भूमंडलीकरण के परिप्रेक्ष्य में हिंदी और कन्नड साहित्य विषय पर, प्रो. लता चौहान ने भारतीय एवं पाश्चात्य शिक्षण पद्धति में हिंदी भाषा : प्रभाव संभावना और चुनौतियां विषय पर और डॉ. विनय कुमार यादव ने मुख्य विषय पर अपने विचार व्यक्त किए
संगोष्ठी में उपस्थित संस्था महासचिव डॉ डब्ल्यू पी कृष्णा ने अपने अध्यक्षीय भाषण में मंच और सभागार में उपस्थित अतिथियों को संबोधित किया। और हिंदी विद्यार्थियों द्वारा अपनी सहभागिता और उत्साहवर्धक सहयोग के लिए शुभकामनाएं प्रधान की और उनकी प्रशंसा की । संगोष्ठी में विभिन्न जगहों से आए हुए प्रवक्ताओं और शोधार्थियों ने अपने शोध आलेख प्रस्तुत किये। महाविद्यालय के समस्त प्रवक्ताओं द्वारा उद्घाटन सत्र से लेकर समापन सत्र तक अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई । संगोष्ठी के समापन सत्र में प्रो.लता चौहान और डॉ यादव ने सभी वक्ताओं द्वारा प्रस्तुत किये गये आलेखों में उठाये गये बिन्दुओं पर अपनी आलोचनात्मक राय रखी। कार्यक्रम का संचालन संगोष्ठी की संयोजिका प्रो उर्मिला पोरवाल और छात्रा मानीनी द्वारा किया गया। और अंत में आभार प्रदर्शन प्रो पोरवाल ने किया।

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