सच्चाई दिखाने वाला साहसी फिल्मकार पंकज पुरोहित

-चन्द्रकांत शर्मा-

अधिकांश लोगों का मानना है कि सिनेमा सिर्फ एंटरटेनमेंट का माध्यम होता है लेकिन कुछ फिल्मकार ऐसे होते हैं जो सच्चाई दिखाने का साहस कर पाते हैं। दुनिया की सच्चाई को दुनिया वालों को अवगत कराने के लिए साहसी फिल्मकारों में पंकज पुरोहित का नाम अब सिनेमाई दुनिया में सामने आया है। छत्तीसगढ़ राज्य के ऊर्जा नगरी कोरबा शहर से माया नगरीमुम्बई फिर अमेरिका और अब दोबारा मुम्बई में अपना वजूद तलाशते पंकज ने सिनेमा की कल्पनामयी संसार में संघर्ष की लंबी पारी खेली है। पंकज के साहसिक संघर्ष में उनके डैडी श्रीएस. व्ही. पुरोहित का भरपूर साथ व आशीर्वाद है। पंकज ने जब पहली बार ‘राम तेरी गंगा मैली’ फिल्म देखी तब उनके बाल मन में सिनेमा भाव ने घर कर लिया। फिर युवावस्था मेंशाहरुख खान के रोमांटिक अंदाज का दीवाना हो गए और मुम्बई आकर बॉलीवुड में शौहरत कमाने की प्रबल इच्छा होने लगी। पंकज ने जब अपने भीतर झाँका तो पाया कि एक सिंगर केरूप में लोगों के दिल में आसानी से उतरा जा सकता है। फिर पंकज खैरागढ़ और बनारस में शास्त्रीय संगीत की तालीम लेकर 2001 में मुम्बई आये। यहाँ महेश भट्ट और तनूजा चंद्रा सेमिले और उनकी अगली फिल्म में सहायक जुड़ने का ऑफर मिला लेकिन तनूजा की वह फिल्म शुरू ना हो सकी और फिर पंकज ने अपना ध्यान रंगमंच की तरफ मोड़ा और कुछ प्ले कियेलेकिन निचले स्तर का संघर्ष और समझौता उनकी फितरत में नहीं था। 2003 में पंकज ने अमेरिका के लिए ऊँची उड़ान भरी। अमेरिका में सात वर्ष के दौरान फिल्म मेकिंग के कईविधाओं में पारंगत हुए।

लॉस एंजेलिस में यु सी एल ए फिल्म एकेडमी में डायरेक्शन सीखी और फिल्म मेकर ग्रेट हॉवर्ड के साथ स्क्रिप्ट राइटिंग की। उसके बाद आन्या लिपि की प्ले विवेकानंद से जुड़े। कुछहॉलीवुड फिल्मों में प्रोडक्शन असिस्टेंट के रूप में काम करते करते फिल्म निर्माण क्षेत्र की गतिविधियों पर नजर रखते हुए ढेरों अनुभव प्राप्त किये।

2006 में एक गोरे मित्र जेरमी वीवर के साथ फिल्म प्रोडक्शन कंपनी ऑनवर्ड एंटरटेनमेंट की स्थापना कर ट्वाईलाईट ग्रेस और न्यू मियॉक नामक फिल्म का निर्माण किया। फिर आगेपंकज का दिल मुम्बई आने के लिए बेताब होता गया और 2008 में मुम्बई आकर कुछ साल बॉलीवुड लाइफ को जीते हुए अचानक कुछ अलग करने की सोची। भारत के तंत्र विद्या औरअघोरियों के जीवन से जुड़े रहस्य को आम जनता से रुबरू कराने के लिए पंकज ने अपने कुछ सहयोगी सहित बनारस, काठमांडू, कामख्या आसाम, महेश्वर, तारापीठ कोलकाता जाकरअघोरियों के साथ रात गुजारी और उनके रहन-सहन, खान-पान व साधना को कैमरे में कैद कर डॉक्यूमेंट्री फिल्म का रूप दे दिया। इस डॉक्यूमेंट्री का नाम बेली ऑफ द तंत्र रखा गया है।इसके संवाद हिंदी तथा सबटाइटल इंग्लिश में हैं। इस फिल्म ने इंटरनेशनल मार्केट में भारतीय निर्माता निर्देशक के रूप में पंकज पुरोहित को बहुत प्रसिद्धि दिलायी है और कोलंबियायूनिवर्सिटी से गेस्ट लेक्चलर के लिए उन्हें बुलावा आया जहाँ उनका पढ़ाई का सपना था। उसे पंकज अपने फिल्म कैरियर का बड़ा सम्मान मानते हैं।

अब तक ‘बेली ऑफ द तंत्र’ मुम्बई , दिल्ली, बेंगलुरु के अलावा लन्दन, जर्मनी, पुर्तगाल और पेरिस के दर्शकों द्वारा सराही जा चुकी है। इन दिनों पंकज अपनी दूसरी फुल लेंग्थडॉक्यूमेंट्री ‘सडन क्राय’ को फिल्म फेस्टिवल में भेजने का प्लान कर रहे हैं, जिसका निर्देशन बबिता मोडगिल ने किया है। इसमें बाल वेश्यावृत्ति से जुड़े भारतीय अपराध दिखाया गया है।हाल ही में पंकज की काबिलियत को देखते हुए पुर्तगाल से उनके एक गोरे मित्र ने एक शार्ट फिल्म के लिए संपर्क किया और यूरोप जाकर पंकज ने अपने मित्र के साथ स्क्रिप्ट कम्पलीटकी। आगे पंकज बड़े एक्टर को लेकर होमोसेक्सुअल सब्जेक्ट पर कमर्शियल फिल्म की तैयारी भी कर रहे हैं।

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