इस से बढ़ कर सानिहा गुज़रेगा क्या इंसान परमाँ के हाथों शहेर में बिकता हुआ बच्चा मिला सानिहा= हादसा / दुर्घटना --तरन्नुम कानपुरी |
बात ये है के बयाँ कैसे करूँ ? एक औरत भी छुपी है मुझ में ! -- अज्ञात |
ये बच्ची चाहती है और कुछ दिन माँ को खुश रखना ये कपड़ों की मदद से, अपनी लम्बाई छुपाती है --मुनव्वर राना |
नई हवाओ ! न मश्वरा दो के सिर्फ़ आँचल रहे गले तक ये सर नहीं, क़ौम की है इज़्ज़त, जिसे दुपट्टे से ढक रही हूँ मश्वरा=सुझाव, क़ौम=समुदाय /राष्ट्र --शबीना अदीब |
कहाँ औरत नहीं है, सर-ब-रहना कहाँ अब परदे का मातम नहीं है ये तसव्वुर की करिश्मा-साज़ियाँ देखा जिस शै को, वो औरत हो गई सर-ब-रहना= नंगे सिर , मातम =विलाप तसव्वुर=कल्पना, करिश्मा-साज़िया = लीला , शै=चीज़ --शौक़ बहराइची |
जिसको तुम कहते हो खुश-बख़्त , सदा है मज़लूम जीना हर दौर में औरत का , खता है लोगों खुश-बख़्त=नसीब वाला ,सदा =हमेशा ,मज़लूम -पीड़ित , खता =गुनाह --रज़िया फ़सीह अहमद |
ज़िन्दगी भी किसी बाज़ार की औरत की तरह न बियाहे की हुई , और न कंवारे की हुई --ख़ुर्शीद अकबर |
ख़िज़ाँ इक ग़म-ज़दा बीमार औरत हवा ने छीन ली जिसकी रिदा है ख़िज़ाँ=पतझड़ , ग़म-ज़दा=दुःखी , रिदा=ओढ़नी --वज़ीर आग़ा |
ऐरे-ग़ैरे लोग भी पढ़ने लगे है इन दिनों आपको औरत नहीं,अख़बार होना चाहिए --मुनव्वर राना |
शख़्स =व्यक्ति --तनवीर सिप्रा |
बात ये है के बयाँ कैसे करूँ ? एक औरत भी छुपी है मुझ में ! -- अज्ञात |
ऐसी कहानी का मैं आख़री किरदार था जिस में कोई रस था, कोई भी औरत न थी --मोहम्मद अल्वी |
आबरू के लिए रोती है बहुत पिछले पहरएक औरत कि जो पेशा भी नहीं छोड़ती है आबरू =औरत की इज़्ज़त --मेराज फ़ैज़ाबादी |
औरत को चाहिए की अदालत का रुख करें जब आदमी को सिर्फ़ ख़ुदा का ख़याल हो --दिलावर फ़िगार |
अगर ,सब सोने वाले मर्द-औरत पाक-तीनत थे तो इतने जानवर किस तरह बिस्तर से निकल आए पाक-तीनत =पाक तबियत --फ़ुज़ैल जाफ़री |
यहाँ की औरतों को इल्म की परवा नहीं, बेशक मगर ये शौहरों से अपने बे-परवा नहीं होतीं इल्म=ज्ञान/शिक्षा ,बेशक =निःसंदेह --अकबर इलाहाबादी |
औरत के ख़ुदा दो हैं , हक़ीक़ी-ओ -मजाज़ीपर उसके लिए कोई भी अच्छा नहीं होता हक़ीक़ी=असली ख़ुदा , मजाज़ी-दुनियावी ख़ुदा / पति --ज़हरा निगाह |
औरत हूँ , मगर , सूरत-ए -कोहसार खड़ी हूँएक सच के तहफ़्फ़ुज़ के लिए , सब से लड़ी हूँ सूरत-ए-कोहसार=पहाड़ की तरह,तहफ़्फ़ुज़= सुरक्षा --फ़रहत ज़ाहिद |
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