डीपीएस की चेयरमैन को पुलिस ने कार्यालय जाने से रोका,पुलिस पर तानाशाही का आरोप

अशोक कुमार निर्भय

दिल्ली पुलिस ने डीपीएस सोसायटी पर कब्ज़ा कर लिया और गुरुवार को उसे ईस्ट कैलाश के कार्यालय में प्रवेश करने से डीपीएस सोसायटी के नयी अध्यक्षा श्रीमती डॉ. शरद नायक को वर्जित किया गया है। डीपीएस सोसायटी के नए अध्यक्ष, डॉ श्रीमती शारदा नायक सुबह में उसके कार्यालय पर पहुंचे जब वह वहाँ एक अलग दृश्य को देखा की पुलिस ने डीपीएस सोसायटी कार्यालय का गेट को बंद करवा दिया है और भीतर नहीं जाने देने के लिये हथियारों के साथ तैनात है । पुलिसकर्मियों कार्यालय में प्रवेश करने से अलोकतांत्रिक तरीके से पुलिसिया रौब दिखाते हुए भीतर जाने मना कर दिया।

डॉ श्रीमती शारदा नायक उसके कार्यालय में भीतर जाने के लिए  संघर्ष करना पड़ा लेकिन उसके हर प्रयास व्यर्थ में चला गया। इस बीच सैकड़ों महिलाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं कार्यालय के सामने होकर नए अध्यक्ष के समर्थन में नारे लगाना शुरू कर दिया। वे भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुके डीपीएस सोसायटी को मुक्त करने और पूर्व वाइस चेयरमैन एडमिरल एम.एम. चोपड़ा के खिलाफ नारे लगाकर गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे।

इस घटना में पुलिस की भूमिका रहस्यमय है। पुलिस ने बताया कि वह ऊपर से दबाव में हैं । निर्वाचित चेयरमैन डॉ श्रीमती शारदा नायक जबरदस्ती डीपीएस सोसायटी के कार्यालय में प्रवेश करने से आखिर रोकने के लिए पुलिस पीछे से आदेश दे रहा है। लेकिन सवाल यह है कि एक 83 साल की उम्र के महिला जबरदस्ती कार्यालय में प्रवेश कैसे कर सकती है ?

डॉ नायक के  सर्वसम्मति से चुने जाने के बाद पूर्व वाईस चेयरमैन और सचिव की संलिप्ततता पाये जाने के बाद,  25 करोड़ रुपये के घोटाले को डीपीएस सोसायटी को सर्वसम्मति से अपनी अध्यक्षता में ले लिया और जीवन सदस्यता से पूर्व वाइस चेयरमैन एडमिरल एम.एम. चोपड़ा को बर्खास्त कर दिया गया है। यह आदेश श्री वी.के. के विभिन्न पत्र द्वारा शुंगलू, अक्टूबर 2013 में पूर्व सीएजी की रिपोर्ट के आधार पर किया है ।

Labels: , , ,