भारत विकास परिषद् का वाराणसी में दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय व राष्ट्रीय अधिवेशन


भारत विकास परिषद के 50 वर्ष पूरे होने पर स्वर्ण जयंती और विवेकानंद की150वीं वर्ष के उपलक्ष्य में स्वर्णिम समागम का आयोजन वाराणसी के कटिंग मेमोरियल इंटर कालेज परिसर में किया गया। इसमें देश भर के विद्वान व परिषद से जुड़े लोग शामिल हुए। समागम के दौरान भारत विकास परिषद् दिल्ली प्रदेश उत्तर सहित विभिन्न प्रांतों से आए लोगों का एक साथ जुटना कालेज परिसर को लघु भारत का आकार दे दिया। इस दौरान मानवता के पांच सूत्रों संपर्क, सहयोग, संस्कार, सेवा व समर्पण पर जोर रहा। कार्यक्रम का आयोजन काशी प्रांत द्वारा किया गया।

दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय व राष्ट्रीय अधिवेशन का शुभारंभ करते हुए लोक लेखा समिति के अध्यक्ष व सांसद डा. मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि परिषद को दायरा बढ़ाना होगा क्योंकि भारतीय संस्कृति का विस्तार व्यापक है। वहीं दूसरे सत्र में प्रसिद्ध साहित्यकार नरेंद्र कोहली ने स्वामी विवेकानंद की स्मृतियों को सांझा किया। जबकि महिलाओं के लिए विशेष सत्र में भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष स्मृति ईरानी ने अलग-अलग महत्व होने से महिलाओं व पुरुषों की तुलना को गलत ठहराया।अधिवेशन के अंतिम दिन सत्र की शुरूआत सेवा संस्कार से हुई। इसमें मुख्य वक्ता स्वामी यतींद्र जी महराज ने कहा कि सेवा एक ऐसा माध्यम है, जिससे जीव सीधा परमात्मा से जुड़ जाता है।अपने अध्यक्षीय उदबोधन में परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष जस्टिस सदाशिव कोकजे ने कहा कि युवाओं में संस्कार निर्माण के लिए परिषद अपनी गतिविधियों को गति देगा। साथ ही इसका दायरा भी बढ़ाया जाएगा। चंडीगढ़ की बैठक में आगामी अधिवेशन के बाबत निर्णय होगा। तीसरे सत्र में स्वामी सत्यमित्र जी महराज ने संपर्क में सावधानी बरतने पर जोर दिया। अधिवेशन के दौरान भाविप दिल्ली प्रदेश उत्तर के मुख्य संरक्षक महेश चंद्र शर्मा सहित विभिन्न प्रांतों के प्रतिनिधियों ने अपने-अपने प्रांतों की विशिष्ट उपलब्धियों से अवगत कराया।

अधिवेशन के प्रथम दिन आखिरी में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें गंगा आरती के प्रतिरूप की प्रस्तुति की गई। राजेश डोंगरा ने स्केटिंग के माध्यम से वंदे मातरम गीत सुनाया जिसने लोगों का मन मोह लिया।अंतिम दिन अधिवेशन स्थल पर उस समय माहौल बेहद भावुक हो गया, जब लघु भारत का रूप ले चुके परिषद के अधिवेशन में लोग बिछड़ने को हुए। एक-दूसरे को गले लगाया तो सभी की पलकें नम हो गईं। परिषद के सदस्यों ने भारत विकास का संकल्प लिया। साथ ही अगले अधिवेशन में मिलने का वादा कर विदा हुए। मंच का कुशल संचालन भाविप के राष्ट्रीय महामंत्री एस के वधवा ने किया। कार्यक्रम के दौरान स्मारिका व सीडी का विमोचन किया गया।

अधिवेशन में पूर्व न्यायाधीश गिरधर मालवीय, जस्टिस रामा ज्वायस, मेयर रामगोपाल मोहले, कन्हैया लाल, डा. चंद्रकला पांड्या, परिषद के राष्ट्रीय वित्त सचिव डॉ. केएल गुप्ता, उपाध्यक्ष भूपेंद्र मोहन भंडारी, दिल्ली प्रदेश उत्तर के अध्यक्ष राजकुमार जैन, उपाध्यक्ष श्रीमती रश्मि गोयला, महासचिव संजीव मिगलानी, कोषाध्यक्ष बी बी दिवान, कविता अग्रवाल, बल्लभ भाई रमानी, चंपा श्रीवास्तव, नीलू दीक्षित, हरीश जिंदल, केशव दत्त श्रीवास्तव, डा. आरबी श्रीवास्तव विजय अग्रवाल, शमशेर प्रसाद गोयल, दीपक माहेश्वरी, सुनील चंद्र गोयल, पंकज पटेल, डा. संतोष गुप्ता, शिवम बरनवाल, अब्दुल हाजी, आदि शामिल थे।

अधिवेशन के आयोजन में प्रांतीय चेयरमैन ब्रह्मानंद पेशवानी, अध्यक्ष भोलानाथ बरनवाल, आलोक कपूर, प्रमोद राम त्रिपाठी, योगेश कुमार श्रीवास्तव, राम दास, श्रीराम महेश्वरी, महेश चंद, श्रीनारायण खेमका, डा. कविता साह, विवेक सूद आदि की प्रमुख भूमिका रही।

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