रामलीला-एक अमूल्य धरोहर


आज के इस भौतिकतावादी युग में सारा संसार दुख व असंतुष्टि की आग में जल रहा है। मनुष्य समस्त सुख सुविधाओं का भोग करके भी संतुष्ट नहीं है। ऐसे समय में राम-चरित से ही जीवन के प्रति एक नया दृष्टिकोण मिलता है और अलौकिक सुख की अनुभूति होती है।

रामायण का वास्तवित अर्थ है श्री राम की जीवनी। दशहरे के पावन अवसर पर होने वाली रामलीलाओं का भी यही प्रयास रहता है कि वे राम चरित को अपनी पीढ़ी तक पहुंचाएं। उनमें राम के जन्म से लेकर बाल्यावस्था, युवावस्था, विवाह, वनवास तथा लंका पर विजय के अतिरिक्त उनके अयोध्या का राजा बनने तथा अन्य घटनाओं का मंचन किया जाता है। राम हमारे पूजनीय होने के साथ-साथ इतिहास पुरूष भी हैं। उनके जीवन के आदर्श, त्याग, कर्तव्यपरायणता व मानवीय मूल्यों के प्रति सम्मान की भावना अनेक लोगों का मार्गदर्शन करती है। भाई का भाई के प्रति प्रेम, त्याग तथा बलिदान व प्रजा के प्रति आदर सम्मान, पति-पत्नी के रिश्ते  की गरिमा, एक शासक की कर्तव्यपरायणता व प्रजा के प्रति सम्मान की भावना भी रामलीला का आनंद लेकर सीखी जा सकती है क्योंकि आधुनिकता की दौड़ में शामिल होने के बावजूद हर माता-पिता का आज भी यही सपना होता है कि उनकी संतान भी श्री राम की तरह बनें और उन्हीं की तरह मर्यादाओं का पालन कराना सीखें। उनमें वसुधैव कुटुम्बकम की भावना जागृत हो।

चंद्रमुखी अग्रवाल 
हिंदी अध्यापिका
वेंकटेश्वर इंटरनेशनल स्कूल
सेक्टर-18, द्वारका, नई दिल्ली 

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द्वारका श्री रामलीला सोसाइटी द्वारा लेख व पेंटिंग आमंत्रित

प्रिय बच्चों आप भी पवित्र रामायण पर आधारित किसी भी चरित्र के बारे में लिखे लेख व पेंटिंग गोकुल गार्डन, सैक्टर-7, द्वारका तथा ramliladwarka@gmail.com पर प्रेषित किए जा सकते हैं। सुश्री नीता अरोड़ा, डॉ. कीर्ति काले, श्री प्रेम बिहारी मिश्र व डॉ. सरोज व्यास अनुभवी शिक्षाविद्धों की निर्णायक मंडली द्वारा चुना जाएगा। चुने गए श्रेष्ठ लेखों/पेंटिंग के लिए स्कूली बच्चों को विशेष रूप से आगामी रामलीला में भव्य मंच पर पुरुस्कृत किया जाएगा। तथा इस प्रतियोगिता में शामिल प्रतेयक प्रतिभागी को प्रमाण पत्र से सममाननीत भी किया जाएगा।


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