डटोगे, लड़ोगे, आगे बढ़ोगे

विकास प्रताप सिंह 

तुम कश्मीर के सौंदर्य समान,
तुम ही कन्याकुमारी के शान,
पूरब-पश्चिम, उत्तर से दक्षिण,
तुम हो आर्यों के आर्यमान।।

तुममें कर्ण सी दानशीलता,
अर्जुन सा है प्रताप तुम्हारा,
तुम शूरवीर कब तक सहोगे,
डटोगे, लड़ोगे, आगे बढ़ोगे।। 

तुम केसरिया, हरियाली हो,
तुम ही स्वेत प्रकाश जगत के,
तुम ही हो संतान बिस्मिल के,
नानक और सरदार भगत के।।

वीर कुंवर सिंह का यह देश,
भुजा चढ़ाकर यह दिया संदेश,
तुम सरहद पर मर अमर बनोगे,
डटोगे, लड़ोगे, आगे बढ़ोगे ।।

तुम दिवाली, तुम्हीं ईद हो,
रस में घुली मधुर संगीत हो,
तुम गुरुपर्व सा पावन अवसर,
तुम गीता का पहला अक्षर।।

तम का सीना चीर के,
जग में तुम प्रकाश करोगे,
ना रुकोगे तुम सदा बढ़ोगे,
डटोगे, लड़ोगे, आगे बढ़ोगे।। 

तुम मध्य प्रदेश के सांची हो,
तुम झारखण्ड के रांची हो,
तुम यूपी के गोरखधाम,
हम सब करते तुम्हें सलाम।।

हो चाहे नारायनी सेना,
ले आना इंकलाब तुम,
देश का रोशन नाम करोगे,
डटोगे, लड़ोगे, आगे बढ़ोगे।।

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