उत्तराखण्ड और हिमाचल प्रदेश में प्राकर्तिक आपदाग्रस्त लोगों को समर्पित विशेष संपादकीय

आदमी हूँ आदमी की बात करता हूँ

एस. एस. डोगरा

पिछले दिनों देव भूमि कहे जाने वाले राज्यों उत्तराखण्ड और हिमाचल प्रदेश में आई दिल दहला देनी वाली प्राकर्तिक आपदा ने पूरे देश वासियों को हिला कर रख दिया। ईश्वर ने ना जाने क्यों इस पावन भूमि पर क्यों कहर बरपा। विश्व प्रसिद्ध व धार्मिक आस्था के प्रतीक केदारनाथ, बद्रीनाथ व अन्य क्षेत्र में लाखों बेकसूर लोगों की मौत के साये ने सब कुछ बर्बाद कर डाला। गौरतलब है कि केदारनाथ धाम ही इस प्राकर्तिक आपदा का केन्द्र बिन्दु था। 

इसी तरह भारत का स्विट्जरलैंड कहलाने वाला राज्य हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिला में भी बादल फटने व मूसलाधार वर्षा होने के कारण हजारों मौतें हुई और भूसंखलन से संपर्क टूट गया। उक्त राज्यों में हुई प्राकर्तिक आपदा से सभी भारतवासियों को गहरा दुख पहुंचा है। हालांकि मैं भी हिमाचल राज्य का मूल निवासी हूँ परन्तु मुझे भी इन दोनों राज्यों हुए त्रासदी का विशेष रूप से गहरा सदमा पहुंचा है। वास्तव में, मुझे पहाडों पर भर्मण करना बेहद भाता है इसीलिए मुझे दोनों ही राज्यों से विशेष लगाव रहा है। लेकिन ईश्वर की लीला निराली है वह कब किसी को राजा व रंक बना दे कहीं कुछ मालूम नहीं है। उपरोक्त त्रासदी के कारण दोनों राज्यों के लाखों निवासियों को शारीरिक, मानसिक व आर्थिक जख्म दिये है जिनको भरपाई होने में ना जाने कितना समय लगेगा। 

उत्तराखण्ड राज्य के माननीय मुख्य मंत्री विजय बहुगुणा व मुख्य सचिव सुभाष कुमार ने भी राहत कार्यों में जुटी विभिन्न राज्य सरकारों, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, इंडो-तिब्बत सीमा सुरक्षा बल, भारतीय हवाई व थल सेना, संस्थाओं व समाज सेवियों की तहे दिल से सराहना की। जिन्होने रात-दिन एक करते हुए मानव बचाव कार्यों में प्रमुख भूमिका निभाई। पर्यटन राज्य मंत्री के. चिरंजीवी, गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी, हरियाणा के मुख्य मंत्री भूपेन्दर सिंह हुड्डा, दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित, सहित अन्य नेताओं द्वारा क्षतिग्रस्त क्षेत्र के लिए प्रदान की गई सहायता राशि के लिए उन्हे विशेष रूप से याद किया जाएगा। वहीं दूसरी और हिमाचल प्रदेश में भी वहाँ के मुख्य मंत्री वीरभद्र सिंह तथा हमीरपुर के ही युवा सांसद अनुराग ठाकुर ने जिंदा दिली दिखाते हुए क्षतिग्रस्त क्षेत्र का दौरा किया। वैसे इस संकट की घडी में मीडिया एजेंसियों ने भी लोगो तो तरोताजा जानकारी प्रदान करने से लेकर खाद्य व धनराशि एकत्र कर सच्ची समाज सेवा व देशभक्ति का विलक्षण यह समाज के लिए भी प्रेरणादायक उदाहरण साबित हो सकता हैं।

उपरोक्त घटनाओं से मैं भी बहुत क्षुब्त हुआ तथा मुझे 26 जनवरी, 2001 का दिन याद आ गया जब गुजरात में आए भारी भूकम्प ने हजारों लाशों का मंजर देखा था। संयोगवश, मुझे भी 28 जनवरी,2001 को दिल्ली चैन संगठन के व्यापारी दल के साथ जाने का मौका मिला। मैं शायद, उस दिन को जिंदगी में कभी भूल ही नहीं सकता क्योंकि वह मेरे जीवन की पहली हवाई यात्रा थी। हालांकि उस कहर को देखकर, मेरी पत्नी मुझे वहाँ भेजने के लिए कतई तैयार नहीं थी। परन्तु मेरी हठ के आगे उसकी एक न चली और मैं समाज सेवी दल के साथ अहमदाबाद हवाई अड्डे पर जैसे ही पहुंचा तभी बडे जोर के भुकम्भी झटके महसूस हुए मानो जैसे पूरा हवाई अड्डा ही हिल गया था। वहाँ से मैंने अपने साथी मित्र विजय भाटिया जी के मोबाइल की सहायता से अपने परिवार को फोन कर अपनी कुशलता पूर्वक पहुँचने की सूचना दी। अहमदाबाद शहर में भी कुछ क्षतिग्रस्त इमारतों, गौशाला व खुले मैदान में टैंटों में विस्थापित राहत शिवरों का दौरा किया। यहाँ पर लोग अपनी जान बचाने हेतु अपने-अपने आलीशान बंगलो व फ्लैटों को त्यागकर सडक पर शरण लेते हुए देखा। वहाँ हमने पूरे दो दिन रुककर भुज व भधोच के दुर्गम व पिछडे ग्रामीण इलाकों में भूकंपग्रस्त पीडितों को राहत व खाद्य सामाग्री प्रदान की। 
इसी तरह सन 2008 में बिहार प्रदेश में आई भयंकर बाढ़ ने तबाही मचाई। उस बार भी हमने सोसाइटी फॉर क्रिएटिवस(पंजीकृत) गैर सरकारी संस्थान के बैनर तले द्वारका में मेरे मित्र संजय शर्मा, सैक्टर-10, के यहाँ कपडे, खाद्य सामाग्री व कुछ धनराशि जुटाने में छोटा सा प्रयास किया। हमें पूरी दिल्ली व इसके आसपास इलाकों जैसे नागलोई, गुड़गाँव, फ़रीदाबाद, नोएडा, गाजियाबाद आदि से अनेक शिक्षा संस्थाओं, समाजसेवियों, और यहाँ तक कि हमारी महिला पत्रकार मित्र स्वाति(टाइम्स ऑफ इंडिया), दृष्टिहीन समाजसेवी अनिल वर्मा, शिक्षाविद शिम्मी खेर, सुप्रसिद्ध कवियत्री कीर्ति काले, पी. के. द्विवेदी, सरिता, अमित रंजन, एन. के. वर्मा, बैंक प्रबन्धक मुकुल शर्मा आदि सहयोगियों बदौलत कपड़े, खाद्य, बर्तन आदि सामाग्री एकत्र एक भरा ट्रक बाढ़ग्रस्त बिहार प्रदेश के लिए रवाना किया। इसके अलावा प्रधानमंत्री राहत कोष में दस हजार रूपये आहुती स्वरूप प्रधानमंत्री कार्यालय में भिजवाई। 

इस बार भी कुछ सहायता करने की सोच है यदि आप लोग सभी मिलजुलकर देश के सामने आयी संकट की घड़ी में अपने वतन का फर्ज निभाना है तो निःसंकोच खुलकर सहयोग देना होगा। आप हमें “प्रधानमंत्री राहत कोष” के नाम से ड्राफ्ट बनवाकर हमारे कार्यालय में प्रेषित करें। इस पुण्य कार्य में आहूति के लिए योगदान राशि कोई भी मापदंड नहीं, आप अपने सामर्थ्य के अनुसार परन्तु दिल खोलकर दान करें, ईश्वर स्वतरू ही आप पर कृपया करेंगे।

इस कार्य में योगदान देने वाले प्रतेयक भागीदारी ड्राफ्ट राशि के साथ अपना नाम व पता भी जरूर प्रेषित करें। हम उसे अगले अंक में विशेष रूप से प्रकाशित करेंगे। यदि आप अपना नाम गुप्त रखना चाहे तो उस गोपनियता का भी स्वीकार किया जाएगा, परन्तु दान केवल ड्राफ्ट के रूप में “प्रधानमंत्री राहत कोष” के नाम से ही देवें। मुझे आप सभी हिंदुस्तानियों पर भरोसा है कि आप केवल स्वयं ही नहीं बल्कि अपने परिवार, दोस्तों, रिशतेदारों, पड़ोसियों, समाज सेवियों को भी इस नेक काम के लिए प्रेरित करें। मुझे मशहूर गायक मुकेश जी के गाये गाने के बोल याद आ रहे हैं कृपया गौर फरमाएँ

“बस यही अपराध मैं हर बार करता हूँ, आदमी हूँ आदमी की बात करता हूँ।“

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