डायरी के पन्नो से कुछ यादगार पल

श्री ओ. पी. व्यास और एस. एस. डोगरा
गत दिनों फेसबुक के माध्यम से मेरे पुराने मित्र श्री ओ. पी. व्यास जी, Asst. Registrar-Law (राष्ट्रीय मानव अधिकारआयोग ) से संपर्क हुआ। उन्होने मुलाक़ात करने की इच्छा व्यक्त की। व्यास जी एक ईमानदार सरकारी अधिकारी हैं तथा संस्कारी परिवार से हैं और रंगीले राजस्थान के मूल निवासी हैं। इन्होने बड़े ही बेबाक ढंग से, जान की बाजी लगाते हुए, नेपाल, उत्तरप्रदेश तथा पूर्वोत्तर राज्यों की सैंकड़ों नाबालिग बालाओं को यौन शोशित करने वाले दमनकारी दरिंदों से छुटकारा दिलाया था। उनके व्यक्तितत्व में देशभक्ति कूट-कूट कर भरी है। जनवरी, वर्ष 2009 में तत्काल राष्ट्रपति महामहिम श्रीमति प्रतिभा पाटिल ने उन्हे देश के प्रति ईमानदार सेवाएँ प्रदान करने हेतु पुरस्कृत भी किया था। उस उपलब्धि पर पहली बार मैंने मार्च, 2009 में व्यास जी का इंटरव्यू लिया था। आप आज भी उस इंटरव्यू को निम्न लिंक के जरिये पढ़ सकते हैं।
श्री ओ. पी. व्यास पत्नी डॉक्टर सरोज व्यास के साथ

खैर कल शाम को ही हमारी पुनः उनके घर पर मुलाक़ात हुई और आपस में बातचीत का दौर शुरू हुआ तो पता चला कि श्री व्यास जी के जाने-माने माननीय मुख्य न्यायधीश स्वर्गीय श्री जे. एस. वर्मा जी से बड़े ही करीबी पारिवारिक संबंध थे। और व्यास जी को श्री वर्मा जी के संग ईमानदारी व ज़िम्मेदारी से कार्य करने की प्रेरणा भी मिली। जिसके लिए व्यास जी, अपने आपको बड़ा सौभाग्यशाली मानते है। वैसे justice रंगास्वामी, केंद्रीय जांच बूयरो के पूर्व निदेशक श्री डी. आर. कार्तिकेन जैसे हस्तियों के साथ भी बिताए कुछ सुनहरे पलों को भी सांझा किया।
डॉक्टर सरोज व्यास की किताब “अहसास अनूठे रिश्तों का” के साथ एस. एस. डोगरा
व्यास जी ने अपनी पत्नी से भी मिलवाया। गौरतलब है कि व्यास जी की पत्नी डॉक्टर सरोज व्यास भी इंदरप्रस्थ विश्वविधल्या दिल्ली के कापसहेड़ा स्थित Fairfield Institute of Management & Technology कॉलेज में प्रधानाचार्य के पद पर कार्यरत हैं। सरोज जी से बातचीत हुई तो पता चला के अध्यापन के अलावा लेखन कार्य में भी जुटी हैं। उनके द्वारा रचित दो किताबें कॉलेज में पाठ्यक्र्म में लगी हुई है. उन्होने मुझे अपनी किताब “अहसास अनूठे रिश्तों का” भेंट की। एक दिलचस्प बात यह भी है कि पुस्तक के शीर्षक के मुताबिक समाज में रिश्तों को लेकर उत्पन्न असंवेदनशीलता एवं उपेक्षा तथा अपेक्षा के प्रति आक्रोश को लेकर विभिन्न रचनाओं के माध्यम से समेटने का बेहद प्रशंशनीय प्रयास किया है। किताब को जाने माने साहित्यकार डॉक्टर रमाकान्त शुक्ला व पूर्व राजदूत श्री आर. पी. सिंह ने अपने शुभ संदेशों से अलंकृत किया है। मैं व्यास दंपत्ति द्वारा जिम्मेदारी से निभा रहे नौकरी में कार्यरत होने के बाबजूद रचनात्मक कार्यों, साहित्य में रुचि, लगन देशभक्ति भावना से काफी प्रभाबित हुआ। आज समाज को इसी तरह के लोगों से प्रेरणा लेनी चाहिए, जो हमारे भटकाव भरे व दिशाहीन समाज को खुशगवार, कर्मशील तथा देश को उन्नत राह पर ले जाने में अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

(एस. एस. डोगरा-सम्पादक द्वारका परिचय समाचार पत्र)

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