इस बार की होली पर

प्रवीण कुमार शर्मा

हर रंग, रंगहीन
इस बार कि होली पर।

इस साल जो हुआ उस पर
हैवानियत भी शर्मसार
इस बार कि होली पर।

जख्म नासुर बन गये
इस बार कि होली पर ।

हर खुशी बेमानी
हर शक्स दरिंदा
इस बार कि होली पर ।

हर रंग में चुभन
इस बार कि होली पर।

गुस्सा, छटपटाहट, बैचेनी
मजबुरी, लाचारी, बैचारी सरकार
इस बार कि होली पर ।

पानी भी लगता है तेजाब
इस बार कि होली पर ।

दर्द, मलाल, कोफ्त
आँखों मे आँसू ही आँसू
इस बार कि होली पर ।

जिंदा लाश  हुँ मैं
इस बार कि होली पर ।

भारत की बेटी दामिनी
नही है नही है नही है
इस बार कि होली पर
इस बार कि होली पर ।

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