मैसेज जरूरी लेकिन मनोरंजन ज्यादा जरूरी: रवीन्द्र कौर नरुला


प्रेमबाबू शर्मा

छोटा सिनेमा अब छोटा नहीं रहा। फिल्म फेस्टिवल्स के माध्यम से विदेशों में भी छोटी फिल्मों की पहुंच बढ रही है। अनेक निर्माताओं की बाल फिल्मों को सराहा भी गया । अमीर खान की तारे जमीं पर,संतांष शिवान की फिल्म हेलो, कृष्ण चैधरी की फिल्म भूत अंकल,बंम्ब बम्ब बोले, ब्लू अम्बरेला,चिलर पार्टी, और आई एम कलाम...फिल्मों ने मैसेज और एंटरटेनमेंट वैल्यू का कंबाइड पैकेज दर्शकों को दिया था। उसके बाद कई ऐसी फिल्में बनी जिन्होने मैसेज और मनोरंजन दिया। अब निर्मात्री रवीन्द्र कौर नरुला अपनी नई फिल्म ‘ “टीयर्स इन खुशी” ’ के साथ दर्शकों के सामने आ रही हैं।


डिवाइन मास्टर पीस एवं निर्मात्री रवीन्द्र कौर नरुला द्वारा निर्मित फिल्म “टीयर्स इन खुशी” का निर्माण युवा लेखक एवं निर्देशन रवनीत कौर में निर्देशन में किया गया। रवनीत कौर ने बताया की यह फिल्म रीयल लाईफ को दर्शाती है, फिल्म 4 साल की एक छोटी बच्ची जिसका नाम खुशी है, के आस-पास घूमती है, आजकल छोटे बड़े शहरो में एकल परिवार ज्यादा प्रचलन में है। ऐसे माहौल में घर के छोटे बच्चों और बड़े बुजुर्गाे कि स्थिति और उनकी मनोदशा को रेखांकिंत किया है। बच्ची अपने माता पिता के साथ में रहती है । जबकि उसके दादा भी है जो उसे स्नेहा करते है लेकिन माता पिता की अलग विचारधारा के चलते खुशी अपने दादाजी के स्नेह से बंचित रहती है। परिस्थितियां बदलती है। चारो और वल्र्ड कप क्रिकेट मैचं का जलवा है, सभी इस मैच में व्यस्त है, ठीक इसी दिन खुशी का जन्म दिन भी है, वह स्वंय को घर में अकेला महसूस करती है और उसकी चाह है कि वह अपने जन्मदिन अपने दादा के साथ शेयर करे और चलती है उनको खोजने ,अंत में उसे अपनी मंजिल मिल भी जाती हैं। युवा निर्माता, निर्देशक और लेखक रवनीत कौर का नाम भले ही दर्शेकों के लिए नया हौ लेकिन उनके पास में कई सुलझे कई नामचीन निर्देशको के सहायक का अनुभव है । उनके अनुसार वर्तमान में कई बाल फिल्में बन रही हैं। बडे अभिनेता भी इन फिल्मों को सपोर्ट कर रहे हैं। कभी एनिमेशन तकनीक से बनी फिल्मों में अपनी आवाज देकर तो कभी कोई गाना गाकर। “टीयर्स इन खुशी” फिल्म भी मनोरंजन के साथ में बच्चों को कही शिाक्षा भी देगीं। फिल्म के विषय कहना था कि वर्तमान में एकल परिवार का जो दौर चल रहा है।, उससे बच्चों को अच्छी भले ही शिक्षा मिल जाए, लेकिन वे परिवारिक संस्कार से वंचित रहते है । फिल्म में मनोज बक्शी और खुशी शीर्ष किरदार में है। संगीत अभिजीत दीक्षित, हर्ष और मनी का है, और गायक स्नेहा अभिजीत दीक्षित मो. रमजान।

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