‘एडवेंचर्स ऑफ हौनटेड हाउस’


प्रेमबाबू शर्मा

जीवन में जाने अनजाने में किये गए हर अच्छे बुरे काम का कभी ना कभी तो खामियाजाना भुगतना ही पडता है .अतीत कभी इंसान का पीछा नहीं छोडता वो साये की तरह उसके साथ बना रहता है और एक ना एक दिन उसे वो आईना दिखा देता है जो वो सोच भी नहीं पाता। ऐसी ही दिलचस्प और रोमांचक किंतु भयावह दास्तान है ‘एडवेंचर्स ऑफ हौनटेड हाउस।

संकेत मोरे  और  सैयम खन्ना
फिल्म की कहानी ‘अनीता(सपना ठाकुर ), दिया (दिव्या सिंह ), खुशी (सैयम खन्ना), भारती (पियु चैहान)और जेनिथ (श्वेता शर्मा) गहरी पांच सहेलियां के इर्द गिर्द घूमती है। वे अपने जीवन के हर पल को आनंद मौज मस्ती के साथ में साँझा करती है।अपने इस जज्बे को किसी भी कीमत पर पूरा करने के लिए कोई भी रिस्क उठाने के लिए हिचकती नहीं हैं .मगर कहने वालों ने ठीक ही कहा है कि हर जवानी की कहानी में रवानी हो यह कोई जरूरी नहीं, कभी कभार इस कहानी में ऐसा ट्विस्ट आता है कि मौत खुशहाल जिंदगी को अपने आगोश में लेने में पीछे नहीं हटती .महानगर मुंबई की ये पांच नवयौवनाएं नित नए युवकों को अपनी कामुकता की पूर्ति का शिकार बनाया करती हैं.हर रोज एक युवक इन पांच नवयौवनाओं के घेरे में कैद हो जाया करता है.गरीबी और मजबूरी के मारे युवक भी आखिर करें तो क्या करें ? इसी घटनाक्रम में अपनी अय्याशी के चलते इन्होने एक रोज एक आलीशान बंगले में पार्टी आयोजित की मौज मस्ती और छलकते जामों के बीच यह पार्टी पूरी रात अपने शबाब पर रही इतने पर भी अनीता, दिया ,श्वेता,भारती और जेनिथ की कामुकता की पूर्ति नहीं हो पाती और वे अपनी हवास को मिटाने के लिए बंगले में काम कर रहे नौकर और हट्टे कट्टे युवक रघु (संकेत मोरे ) को अपना शिकार बनाती हैं .जब रघु उनकी अय्याशी में सराबोर होकर निढाल हो जाता है इधर इन नवयौवनाओं की ‘कामेच्छा ‘तृप्त नहीं हो पाती .., तब वे पाँचों उसका मर्डर कर बंगले के अंदर ही उसे दफन कर देती हैं और उस पर एक पेड लगा देती हैं .उनके दिलों दिमाग में यह बात बैठ जाती हैं कि रघु की कहानी अब हमेशा हमेशा के लिए खत्म हो गई । जबकि असली कहानी का क्लाइमेक्स तो बाकी रह गया है .रघु की अतृप्त आत्मा अब उस आलीशान बंगले में मंडराने लगती है, और उसकी पैनी नजर इन पांच कामुक नवयौवनाओं के एक्शन प्लान पर बराबर बनी रहती है ।.इस घटना को हुए पांच साल गुजर जाते हैं सभी नवयौवनाएँ अपनी नोर्मल लाइफ जीने लगती हैं वक्त अपना खेल फिर रचता है, पाँचों नवयौवनाएं एक बार फिर उसी बंगले में इकठ्ठी होती हैं इस बार उनके साथ उनके प्रेमी बनाम पति भी हैं, जब जब ये पाँचों सहेलियां अपने लवर्स के साथ रोमांस करने का प्लान बनाती हैं, तब तब रघु का शैतानी रूप उनके मन की नहीं होने देता है. एक एक कर के रघु उन पाँचों सहेलियों से अपने प्रतिशोध की ज्वाला शांत करता है .आखिर उन पाँचों सहेलियों ने रघु के भूत से निजात पाने के लिए क्या किया ?क्या रघु की भटकती हुई आत्मा को विराम मिल पाया ? जो अमानवीय व्यवहार पाँचों सहलियों ने रघु जैसे मामूली इंसान के साथ किया क्या उन्हें इसका पछतावा हुआ..? इंसान और शैतान के बीच हुई इस खतरनाक जंग में आखिर जीत किसकी हुई? इन सब जटिल सवालों के जवाब देगी।

पियेरामिड प्रोडक्शंस की प्रस्तुति और निर्माता जतिन भगत की सलीम रजा लिखित और निर्देशित नई फिल्म ‘हौनटेड हाउस ‘‘मदहोश ‘कत्ले आम ‘ नौटी एट फोर्टी ‘आदि फिल्मों और ‘जुबान संभाल के ‘ऑफिस ऑफिस ‘मिसेज मालिनी अय्यर’ आदि अनगिनत टी.वी .सीरियल के लेखन में अपनी अलौकिक प्रतिभा दिखलाने के बाद सलीम रजा की बतौर निर्देशक यह पहली फिल्म है.सलीम रजा के अनुसार ‘हौनटेड हाउस’ में आप यह पायेंगे कि इस फिल्म का वाकई हीरो इसकी कहानी और उससे संबद्ध इसके प्रसंग हैं.इसलिए मैंने नामी गिरामी स्टारकास्ट नहीं ली,ऊपरवाले का करम है कि मुझे अब तक फिल्म के रिलीज के पहले जो रिस्पोंस मिला है वो मेरे लिए किसी एवार्ड से कम नहीं है.मुझे पूरा यकीन हैं कि यह फिल्म सब को पसंद आएगी .’हौन्टेड हाउस ‘के मुख्य कलाकार संकेत मोरे,पियु चैहान ,स्वप्ना ,करन मिश्रा,प्रदीप खराब ,श्वेता शर्मा, अज़ान शाह ,सैयम खन्ना,अवि,निमेश पटेल ,और स्वीटी . निर्माता जतिन भगत ,लेखक निर्देशक सलीम रजा कला निर्देशन संतोष संपादन नन्द लाल ,गीत सलीम रजा संगीत सैयद अहमद .


Labels: , ,